Xxx देसी भाभी की चूत का मजा मुझे अपने पैतृक गाँव में मिला. घर के सामने वाली एक भाभी पर मेरी नजर पड़ी तो मैं उसके साथ सेक्स का मजा लेने की सोचने लगा. मैंने उस भाभी को कैसे चोदा?
दोस्तो, आज मैं जो सेक्स कहानी बताने जा रहा हूँ, वह एकदम सच्ची घटना पर आधारित है क्योंकि ये मैंने खुद किया है.
मेरा नाम अरुण है और मैं 22 साल का युवा हूँ.
वैसे तो मेरा परिवार हिमाचल प्रदेश के एक गांव में रहता था पर जब मैं छोटा था तो मेरे घर वाले मुझे दिल्ली लेकर आ गए थे.
अब मैं दिल्ली में ही रहता हूँ और मैंने अपनी पढ़ाई दिल्ली से ही की है.
यह बात उस वक्त की है जब कोरोना में सब बंद हो गया था.
हम भी सारे लोग गांव चले गए थे और वहीं रह रहे थे.
मुझे इधर कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था क्योंकि यहां पर हमारा सारा कुटुंब रहता है; दादी और चाचा चाची आदि सभी यहीं रहते हैं.
चाचा जी का एक बेटा है, वह भी जवान हो गया है.
उसके साथ मुझे खूब मजा आता है.
हमें गांव में रहते हुए एक महीना हो गया था.
उसी दौरान मेरे घर के सामने रहने वाली एक भाभी से मेरी आंखें चार हो गईं.
हमारे और उनके घर के बीच में सड़क जरूर थी पर सामने उनके घर का सब दिखता था.
शुरूआत में मैं उन्हें जानता नहीं था क्योंकि मैं इसके पहले बहुत कम बार ही गांव आया था.
पर वह एकदम दिलकश माल दिख रही थीं तो मैं ऐसे रिएक्ट कर रहा था जैसे मैं उन्हें बहुत अच्छे से जानता हूँ.
हुआ यूं कि जब भाभी मुझे जम गईं तो मैंने सबसे पहले तो उनका नाम क्या है … ये पता करने की कोशिश की.
मुझे इसके लिए अपना भाई ही सबसे ज्यादा ठीक लगा.
किसी तरह से अपने भाई से उन भाभी का नाम पता किया.
वह भी कमीना था साला … मेरी लेने लगा कि भाभी का नाम क्यों पूछ रहे हो … क्या मामला है?
मैंने किसी तरह से उससे छुटकारा पाया कि बस ऐसे ही जानकारी कर रहा था.
भाभी का नाम पूजा था और उनके 2 बच्चे थे.
दोनों बच्चे अभी छोटे ही थे.
पर लगता नहीं था कि उसके बच्चे होंगे.
भाभी का पति विदेश चला गया था.
भाभी की उम्र 30 साल की रही होगी.
वे एकदम फिट थीं.
मैंने भाभी पर नज़र रखना शुरू कर दिया.
ऐसे तो भाभी घर से कम ही निकलती थीं पर वह शाम को 7 बजे के करीब छत पर सैर करने आती थीं.
उस वक्त वे अक्सर सलवार सूट पहन कर आती थीं और एकदम मस्त माल लगती थीं.
मुझे सही सही पता तो नहीं था पर भाभी के बूब्स का साइज़ 34 इंच का रहा होगा.
कमर 30 की और गांड भी 36 इंच की होगी.
सलवार सूट में तो भाभी और भी ज्यादा गजब का माल लगती थीं.
जब भाभी छत पर सैर करती थीं तो मैं भी उसी टाइम छत पर आ जाता था.
मैं उनको देखने के लिए ही आता था.
कभी कभार भाभी छत पर बने छायाबान में रखे ट्रेड मिल पर रन करतीं तो भाभी के बूब्स गजब लगते थे.
उस वक्त Xxx देसी भाभी की गांड भी गजब मटकती थी, देख कर मजा आ जाता था.
शायद भाभी को पता चल गया था कि मैं उनको देखता हूँ.
इसी वजह से वे अक्सर जल्दी जाने लगी थीं.
मेरी समझ में नहीं आया कि ये क्या हुआ.
फिर बाद में मालूम हुआ कि भाभी रात को भी ख़ा पीकर सैर करने आती हैं.
उस समय वे छत पर चहल कदमी करती हैं.
एक दिन मैं भी रात को ऐसे ही हवा खाने अपनी छत पर चला गया.
तब मैंने देखा कि भाभी अपनी छत पर बने शेड में घूम रही हैं.
उनकी नजरें छत से चारों ओर कुछ खोज रही थीं.
हमारे घर की छत पर उनकी खास नजर थी.
मुझे लगा कि शायद वे मुझे देख रही हैं.
उस वक्त मैं अपनी छत पर कुछ ऐसा छिपा हुआ था कि उन्हें नजर नहीं आ सकता था.
दस मिनट बाद भाभी दीवार के पास बैठ गईं.
मेरी समझ में नहीं आया कि ये क्यों बैठ गईं, बैठ कर कौन सी कसरत कर रही हैं.
वे मुझे दिखना बंद हो गई थीं और उनकी मुंडी भर दिख रही थी.
दो मिनट बाद भाभी उठीं और अपनी सलवार का नाड़ा बांधने लगीं.
मैं समझ गया कि Xxx देसी भाभी यहां सुसू करती हैं.
फिर भाभी नीचे चली गईं.
अब मैंने अपनी छत पर कुछ ऐसे बैठने की व्यवस्था बनाई कि भाभी को बैठी हुई स्थिति में भी देखा जा सके.
दरअसल रोज रात को भाभी को सुसू करने छत पर ही आती थीं.
हालांकि उनके घर में बाथरूम है लेकिन उनको शायद खुले में मूतने में ज्यादा मजा आता था.
अब मैं उन्हें सुसू करते देखने का प्रोग्राम बनाने लगा.
तीन दिन तक मैंने भाभी को मूतते देखा और चौथे दिन न जाने कैसे मुझे उसी वक्त छींक आ गई और ये खुलासा हो गया कि मैं भाभी को मूतते देखता हूँ.
अब मूतते समय आदमी जल्दी नहीं कर सकता है … या तो वह अपने कपड़े खराब करेगा या वह पूरी तरह से मूतने के बाद ही हटेगा.
यही हुआ … भाभी ने सूसू की और जल्दी से उठ कर अपनी चड्डी ऊपर सरकाई और सलवार का नाड़ा बांध कर मेरी तरफ देखा.
मैं कुछ नहीं बोला और छत की दूसरी तरफ जाने लगा.
उनकी आवाज आई- आप क्या देख रहे थे?
मैं चुप … मुझे काटो तो खून नहीं, क्या जबाव देता!
फिर अचानक से भाभी ने दुबारा कुछ कड़क आवाज में कहा- बताओ?
मैंने कुछ सोचा और पलट कर कहा- क्या कहा आपने?
यह कहते हुए मैं उनके पास आ गया.
भाभी अपनी छत पर थीं और मैं अपनी छत पर था.
वे कुछ नर्म हुईं और बोलीं- ताका-झांकी अच्छी बात नहीं होती.
मैंने कहा- और जो आप कर रही थीं, वो अच्छी बात होती है?
ये सुनकर भाभी कुछ नहीं बोलीं और नीचे चली गईं.
मैं भी नीचे आ गया कि अब क्या होगा.
भाभी मेरी मम्मी से कहेंगी तो मैं क्या जबाव दूंगा.
दूसरे दिन कुछ नहीं हुआ, भाभी ने किसी से कुछ नहीं कहा.
वे रात को खाना आदि से फ्री होकर रोज की तरह छत पर आईं और टहलने लगीं.
मैं भी आ गया और उन्हें देखने लगा.
एक दो मिनट बाद भाभी करीब को आईं और बोलीं- तुम कौन हो? तुम्हारा क्या नाम है?
मैंने बताया और उनसे भी पूछा- भाभी, आपका नाम क्या है?
उन्होंने मुस्कुरा कर कहा- पूजा. तुम क्या करते हो?
मैंने धीमे से कहा- पूजा.
वे बोलीं- हां पूजा मेरा नाम है. पर मैं ये पूछ रही हूँ कि तुम क्या करते हो?
मैंने कहा- बताया तो है भाभी जी कि मैं भी पूजा करता हूँ.
भाभी हंस पड़ीं और बोलीं- बड़े मसखरे हो देवर जी.
मैंने कहा- हां भाभी, जब आप जैसी सुंदर और हॉट भाभी सामने हो तो मसखरी करने का मन हो ही जाता है.
वे खुद के लिए हॉट और सुंदर शब्द सुनकर बोलीं- अच्छा … तो आपको मैं हॉट और सुंदर लगती हूँ?
मैंने कहा- लगती नहीं हो, आप सुंदर सेक्सी और हॉट मा… हो.
उन्होंने समझ लिया कि मैं मा… कहते कहते क्यों रुक गया.
वे बोलीं- आधा अधूरा क्यों कह रहे हो … पूरा कह देते कि मैं ‘हॉट मा…’ क्या हूँ.
मैंने धीरे से कहा- हॉट माल.
वे हंसने लगीं और बोलीं- अच्छा तो मैं आपको हॉट माल लगती हूँ.
उनकी हंसी देख कर मैंने भी कहा- फिर वही बात, लगती नहीं हो … आप हॉट माल हो.
अब वे कुछ संजीदा हो गईं और उदास स्वर में बोलीं- काश तुम्हारे भाई को ऐसा लगता!
मैंने कहा- अरे भाभी, भईया को छोड़िए. देवर से ही तारीफ सुनकर मजा लीजिए ना!
भाभी मेरी तरफ कुछ आशा भरी नजरों से देखती हुई बोलीं- सिर्फ तारीफ सुनकर क्या मजा आएगा!
मैं समझ गया कि भाभी को लंड चाहिए.
मैंने कहा- तो बताइए भाभी मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?
भाभी ने गहरी सांस भरी और कहा- बाद में बताती हूँ.
मैंने कहा- अभी बताने में क्या हर्ज है?
वे आंख दबा कर बोलीं- क्योंकि मेरा देवर थोड़ा चूतिया है.
ये कह कर वे खिलखिलाती हुई नीचे चली गईं.
मैं समझ गया कि वे खुद अपने मुँह से मुझसे चुदने का नहीं कह पा रही थीं.
अब मामला चुदाई के लिए सैट हो गया था.
मैं भी कुछ देर छत पर टहलता रहा और बाद में छत के एक कोपचे में खड़े होकर भाभी के नाम की मुठ मार कर नीचे आ गया.
अगले दिन मैं छत पर गया तो भाभी नहीं आई थीं.
मैं काफी देर तक उधर उनका इंतजार करता रहा और आखिर में जब मुझे कुछ नहीं सूझा तो मैं एक कागज पर अपना फोन नंबर लिख कर एक पत्थर के नीचे दबा आया.
नीचे आकर भी मेरा मन नहीं लग रहा था, बार बार बस दिमाग में ये आ रहा था कि पता नहीं भाभी ने फोन नंबर वाला कागज उठाया लिया होगा या नहीं.
जब मन नहीं माना तो मैं दबे पांव फिर से छत का दरवाजा खोल कर छत पर आ गया.
उधर देखा तो पत्थर के नीचे से कागज निकल चुका था.
सच कह रहा हूँ दोस्तो, मुझे इतनी ज्यादा खुशी हुई मानो कोई ओलंपिक का स्वर्ण पदक हासिल हो गया हो.
फिर मैंने छत पर नजरें दौड़ाईं कि कहीं कागज उड़ तो नहीं गया हो.
या भाभी ने भी मेरे जैसे किसी जगह अपना नंबर लिख दिया हो.
कहीं कुछ नहीं दिखाई दिया.
मैं वापस आ गया.
मोबाइल उठा कर देखा तो एक अनजान नंबर से मैसेज आया हुआ था ‘हैलो देवर जी, कैसे हो?’
दिल बल्लियों उछलने लगा.
मैंने झट से लिखा- हैलो हॉट और सेक्सी माल भाभी. मैं अच्छा हूँ और आपकी याद में तड़फ रहा हूँ.
भाभी ऑनलाइन थीं.
उन्होंने अगले ही पल एक दिल वाली इमोजी भेज दी और चुम्मी का रिएक्शन कर दिया.
मैंने पूछा- फोन लगाऊं?
उन्होंने मना कर दिया और लिखा कोई आवाज सुन लेगा.
मैंने कहा- ओके मैं सिर्फ देखूँगा. आप फोन लगाओ.
मेरी बात सुनकर वो हंसने लगीं और समझ गईं कि मैं वीडियो कॉल लगाने की कह रहा हूँ.
उन्होंने लिखा कि तुम्हारी तरफ घंटी की आवाज आएगी.
मैंने लिखा- नहीं आएगी मैंने फोन साइलेंट कर रखा है.
भाभी ने अगले ही पल वीडियो कॉल लगा दी.
मैंने झट से कॉल रिसीव कर ली.
आह … भाभी का हसीन चेहरा मेरे सामने था.
वे मुस्कुरा रही थीं.
बमुश्किल पांच सेकंड तक कॉल चली और फोन कट गया.
मैंने लिखा- क्यों काट दिया कॉल?
वे बोलीं- फोन पर नहीं सीधे मिलने की जुगाड़ बनाओ.
मैंने ओके लिखा और कुछ देर बात करके मैंने उनकी सारी जानकारी ली कि किस वक्त भाभी क्या करती हैं.
उनका बड़ा बच्चा पांच साल का था और वह सुबह आठ बजे स्कूल चला जाता था और छोटा बेबी अभी तीन साल का ही था.
मैं अगले दिन सुबह साढ़े आठ बजे सबसे नजरें बचा कर उनके घर में चला गया.
वे मुझे घर में आया देख कर पहले तो घबरा गईं.
फिर मैंने उन्हें इशारे से चुप रहने का कहा और उनके बेडरूम में चला गया.
भाभी भी बाहर गईं और मेन दरवाजा बंद करके कमरे में आ गईं.
मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और चूमने लगा.
अगले दस मिनट बाद भाभी पूरी नंगी थीं और मेरे लौड़े को चूसने लगी थीं.
मैंने भाभी को मिशनरी पोज में लेटाया और उनकी चूत में लंड पेल दिया.
भाभी करीब एक साल से चुदी नहीं थीं तो वे एकदम सीलपैक माल हो गई थीं.
वे लौड़े को चूत के अन्दर लेते ही कलप उठीं और छूटने की कोशिश करने लगीं.
भाभी की चूत एकदम कसी हुई थी. उनकी चूत पर झांटें थीं क्योंकि उन्हें मालूम ही नहीं था कि मैं इस तरह से आ जाऊंगा.
करीब दस मिनट तक धकापेल चुदाई हुई और मैंने उनकी चूत के बाहर रस टपका दिया.
अब भाभी खुश थीं और मुझे बेतहाशा चूम रही थीं.
उसके बाद मैं उनके घर से चला आया.
अब मैं दिन में कभी भी मौका देख कर उनके घर में चला जाता था और उन्हें चोद आता था.
दोस्तो, ये Xxx देसी भाभी सेक्स कहानी आपको कैसी लगी. प्लीज मुझे जरूर बताएं.
[email protected]