मेरी चाची लव स्टोरी में पढ़ें कि होटल रूम में चाची को खुल कर चोदने में हम दोनों को बहुत मजा आया. मैंने चाची की गांड भी मारी. इससे मुझे चाची से प्यार हो गया.
दोस्तो, मैं आपको अपनी चाची को होटल में ले जाकर उनकी चुत चुदाई की कहानी के पिछले भाग
चुदासी चाची को बड़े लंड से चोदा
में बता रहा था कि मैं खड़े खड़े अपनी चाची को चोद रहा था और चाची अपनी प्यासी चुत में मेरे लंड का मजा ले रही थीं.
अब आगे मेरी चाची लव स्टोरी:
‘आह हमम … हम्म्म … आह्ह्ह्ह आह्ह्ह राजा …’ जैसी आवाजें निकालती हुई और अपनी आंखों को बंद करके अपने हाथों से ही अपनी चूचियों को चाची मसल रही थीं और लंड के मजे ले रही थीं.
उनके बाल पूरे बेड पर बिखरे पड़े थे. मां कसम … क्या मस्त नजारा था.
ऐसे ही कुछ मिनट तक लगातार चुदाई के बाद मैं अचानक से रुक गया.
चाची तड़फ कर बोलीं- रुके क्यों?
मैं बोला- सांस तो लेने दे साली रंडी …
चाची पलट कर बोलीं- हां मादरचोद … ले ले पूरी सांस … और फिर से शुरू हो जा.
जब मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो लंड गाजर की तरह लाल हो गया था.
मुझे लौड़े में जलन महसूस होने लगी थी.
फिर मैंने चाची को पलटा दिया और उसी पोजीशन में पेट के बल लिटा दिया.
अब मैंने वह थोड़ा सा तेल लिया और चाची की गांड के छेद पर लगा कर अन्दर तक उंगली घुसा दी.
चाची की ‘आह्ह्हह …’ की आवाज निकल गई.
वो बोलीं- इतनी जल्दी गांड की बारी आ गई!
मैंने कहा- हां जी, अब मैं आपकी गांड मारूंगा.
मैंने बहुत सारा तेल अपने लंड पर लगाया और धीरे से लंड को गांड के छेद के पास ले जाकर थोड़ा धक्का दे दिया.
मैं पहले भी कई बार चाची की गांड मार चुका हूं इसलिए उन्हें कोई दिक्कत नहीं थी.
लंड पर ज्यादा तेल था, इसकी वजह से सरलता से आधा लंड गांड के अन्दर उतर गया.
मैंने लंड बाहर निकाला और गांड के अन्दर तेल की एक पिचकारी मारी और फिर से अपने लंड को एक जोरदार झटका लगा दिया.
एक बार में ही लंड सीधा गांड को चीरते हुए अन्दर तक चला गया.
चाची चिल्लाने लगीं- आंह मादरचोद … बहुत बड़ा हो गया तुम्हारा लंड … जल्दी से बाहर निकाल.
लेकिन मैं कहां सुनने वाला था … मैं धीरे-धीरे लंड को आगे पीछे करने लगा.
गांड में ज्यादा ऑयल की वजह से पच पच की आवाज आने लगी.
कुछ देर बाद चाची को भी बड़े लंड से गांड मराने में मजा आने लगा.
चाची ने दोनों हाथ से पलंग की चादर को अपनी मुट्ठी में भर लिया और वो भी गांड उठा उठा कर मेरे हर धक्के का जवाब देने लगीं.
कुछ देर बाद मैंने चाची की चुत के नीचे एक तकिया रख दिया; इस वजह से चाची की गांड थोड़ी ऊंची हो गई.
अब चाची की गांड मारने में और ज्यादा मजा आने लगा.
मैं कभी पीछे से चाची के दोनों हाथ पकड़ कर लंड पेलता, तो कभी चाची के सर के बाल पकड़ कर गांड मारने लगता, कभी आगे झुककर दोनों मम्मों को मुट्ठी में भरकर खींचने लगता.
इससे चाची को भी बड़ा मजा आ रहा था.
मेरा लंड पहले से मोटा और लंबा हो गया था जिससे मैं पहली बार चाची की गांड मार रहा हूं … ऐसा लग रहा था.
गांड की दीवारों से मेरा लंड घिस कर वापस आ रहा था और अन्दर घुस रहा था.
जब लंड अन्दर जाता था, तब मुझे गांड की गहराई का अहसास होता था.
उस समय मुझे घोड़े जैसी फीलिंग आ रही थी.
ऐसी ही धपाधप चुदाई चल रही थी कि बस पूछो मत.
करीब 15 मिनट के बाद मेरा लंड अकड़ने लगा, मैंने स्पीड और बढ़ा दी.
उस समय मैंने चाची के दोनों चूचों को अपनी मुट्ठी में जोरों से पकड़ लिया और फुल स्पीड में लंड को अन्दर-बाहर करने लगा.
चाची जोर जोर से चिल्लाने लगीं.
मैंने एक जोरदार झटके के साथ मेरा गर्मागर्म लावा ‘आह्ह …’ करते हुए गांड में ही निकाल दिया.
थोड़ी देर ऐसे ही चाची के पीठ के ऊपर पड़ा रहा.
चाची ने मुझे ऊपर से हटाकर बेड पर धक्का दे दिया जिससे पक की आवाज के साथ मेरा मुरझाया हुआ लंड चाची की गांड से बाहर निकल आया.
चाची मेरे बाजू में आ गईं और अपने दोनों मम्मों के बीच में मेरा मुँह सैट करके मेरा मुँह दबा दिया.
मैंने भी चाची के दोनों मम्मों के बीच अपना मुँह रखकर चाची को पीछे से जकड़ लिया.
अपने दोनों पांव भी चाची के दोनों पांव के बीच में फंसा कर लपेट मार दी.
हम दोनों थक गए थे.
धक्के लगा लगा कर मेरी तो जांघों में दर्द होने लगा था तो हम दोनों ऐसे ही नंगे एक दूसरे को लिपट कर सो गए.
करीब एक घंटा बाद मेरी नींद खुली.
मेरा पूरा शरीर दुख रहा था.
मैंने चाची को देखा तो चाची भी आधी नींद में थीं और मेरे पांव पर चाची का एक पांव था.
मेरी पीठ पर चाची का हाथ था.
फिर मेरी लंड की तरफ आंख गई तो मेरा लंड तो तन कर पूरा टाईट हो गया था और कड़क हो गया था.
इस बार मैं चाची को बिना परेशान किए ऐसे ही नींद में चुदाई करना चाहता था.
मैंने हाथ से लंड को पकड़ा और चाची की चुत पर थोड़ा सा घिसा.
फिर धीरे से छेद के अन्दर सुपारा दाखिल कर दिया.
चाची आधी नींद में थीं. वो आधी नींद में बोलीं- सो जा मेरे जानू, थोड़ा आराम कर ले, वर्ना मैं शुरू हो गई तो सोने भी नहीं दूंगी.
फिर भी मैंने धक्का लगा कर लंड को चुत में अन्दर तक चीरता हुआ घुसेड़ दिया.
चाची की ‘आह्ह्हह …’ की आवाज आई और उनकी नींद खुल गई.
वो गुर्रा कर बोलीं- रुक भोसड़ी के … अब मैं तुझे बताती हूं.
मैं चाची से बोला- सो जाइए चाची … सो जाइए … मैं तो ऐसे ही सांप को उसके बिल में दाखिल कर रहा था.
चाची फिर से लेट गईं और आंखें बंद कर दी.
मैंने भी सोचा कि अभी थोड़ा आराम कर लेता हूं, जिससे थोड़ी एनर्जी बची रहे.
मैं ऐसे ही चुत में लंड डाले रुक गया और बिना धक्के लगाए चाची को अपनी बांहों में भर लिया.
मेरी फिर से आंख बंद हो गई और मैं सो गया.
चाची बुदबुदा कर बोलीं- शाबाश मेरे जानू.
उन्होंने भी मुझे बांहों में भर लिया और ऐसे ही चुत में लंड डाले, कब नींद आ गई, कुछ पता ही नहीं चला.
फिर जब मेरी आंख खुली, तब देखा कि चाची अभी भी मेरी बांहों में चिपक कर सो रही थीं.
कितना मासूम चेहरा था चाची का. चेहरे पर बिखरे हुए बाल … लाल होंठ … लंबी नाक … चाचा की पसंद जोरदार थी.
चाची अभी भी नींद में थीं और मेरा लंड अभी भी चाची की चुत में ही था लेकिन मुरझा गया था, जिसकी वजह से मैं धक्के नहीं लगा पा रहा था.
बस ऐसा लग रहा था कि मुरझाए लंड को भी किसी ने जोरों से मुठ्ठी में भर लिया हो.
मुझे ऐसा अच्छा लग रहा था, इसी लिए मैंने लंड को बाहर नहीं निकाला और ऐसे ही अन्दर पेले रखा.
मैंने चाची के होंठों को अपने होंठों के साथ लगा दिया और उन्हें किस करने लगा.
इतने में थोड़ी देर में मेरे लंड पर अजीब सी गुदगुदी हुई और लंड का पानी निकल गया.
अब मेरा लंड लप से बाहर आ गया.
अभी भी चाची नींद से उठी नहीं थीं.
मेरा पानी निकल जाने के बाद मेरा दिमाग एकदम फ्रेश हो गया और मैं प्यार से चाची के चेहरे को देखने लगा.
मुझे पहले ऐसा कभी नहीं लगता था लेकिन उस समय मुझे लगा कि हां मुझे अपनी चाची से प्यार हो गया है.
मैं ऐसे ही एकटक अपनी चाची को देखता रहा. फिर मैंने चाची को जगाने की कोशिश की.
लेकिन चाची नहीं उठीं.
मैंने जोर से किस करना चालू कर दिया और उनके मम्मे दबाने लगा, तब जाकर चाची की आंख खुली.
आंख खुलते ही वो किस करने में मेरा साथ देने लगीं.
कुछ पल बाद हम दोनों अलग हुए. मैंने मोबाइल में देखा तो शाम के 7:30 बज रहे थे.
मैं उठा और बाथरूम की ओर जाने लगा.
चाची बोलीं- रुको, मैं भी आती हूं.
वो बेड पर से उतर कर चलने लगीं लेकिन चाची से ठीक से चला जा रहा नहीं था.
मैंने इतनी गांड जो मारी थी.
तो मैंने चाची को बांहों में उठा लिया और बाथरूम में ले गया.
मैंने चाची को नहाने के टब में ही लेटा दिया और उसी टब कि दूसरी साइड में मैं भी बैठ गया.
चाची थोड़ी ऊंची हुईं और मैंने अपने दोनों पांव लंबे कर दिए.
चाची मेरे पांव के ऊपर बैठ गईं और मेरो जांघों पर अपने पैर लंबे कर दिए.
फिर चाची बोलीं- एक चीज करके दिखाऊं … गुस्सा नहीं करोगे तुम?
मैंने कहा- नहीं … मैं गुस्सा नहीं करूंगा.
चाची सर्रर करके पेशाब करने लगीं, तो उनकी चुत से पेशाब की पिचकारी सीधी मेरी छाती पर और पेट ऊपर गिरने लगी.
मैं एकदम से चौंक गया और चाची ‘हा हा हा …’ करके हंसने लगीं.
मैंने भी अपने लंड से पेशाब की पिचकारी मारी, तो सीधे चाची के मम्मों के ऊपर और मुँह के ऊपर पिचकारी लगने लगी.
हम दोनों खूब हंसने लगे.
फिर पानी का शॉवर चालू करके एक दूसरे के ऊपर पानी उड़ा उड़ा कर एक दूसरे को नहलाने लगे.
बाथरूम में भी नहाते नहाते मैंने चाची के चूचे खूब दबाए और चूसे.
चाची बोलीं- रात को मैं तुझे दिखाती हूं. अभी तू कर ले मेरे साथ, जो करना है.
हम दोनों का शरीर दर्द कर रहा था इसलिए पानी से खूब अपने शरीर को आराम दिया.
नहाने से हमें थोड़ी राहत मिली.
खूब नहा कर हम दोनों बाहर आ गए.
उस वक्त 8:15 बज चुके थे.
हम दोनों ने ड्रेस पहन ली और हम बाहर खाने के लिए होटल से निकल आए.
चाची ने ऊपर नीचे बिना ब्रा और पैंटी के सिर्फ टी-शर्ट पहनी थी और नीचे लोअर पहना था.
इस ड्रेस में चाची के उभरे हुए मम्मे आसानी से दिख रहे थे. चलते समय चाची की मोटी गांड मस्ती से मटक मटक ऊपर नीचे हो रही थी.
चाची की ये सब अदाएं मुझे पसंद आ रही थीं जिसकी वजह से मुझे चाची से जैसे सच्चा प्यार हो गया था.
हम दोनों बाइक पर बैठकर एक नॉनवेज होटल में खाना खाने आ गए.
मुझे बहुत जोरों से भूख लगी थी. सुबह से बिना कुछ खाए इतनी चुदाई जो की थी.
वहां हम दोनों ने पेट भरकर खूब चिकन और दूसरे आइटम खाए.
वहां होटल में सारे मर्द चाची की तरफ़ ही देख रहे थे.
उसमें से एक तो चाची से जानबूझकर टकरा कर चला गया था.
मेरा उस आदमी से झगड़ा भी हो गया था.
हम पेट भर कर खाना खाने के बाद सूरत सिटी में घूमने के लिए निकल पड़े.
वहां मॉल में जाकर खूब सारी शॉपिंग की और दूसरी कई जगहों पर हम एक दूसरे के बगल में हाथ में हाथ डाल कर खूब घूमे.
इसी दौरान मुझे सचमुच प्यार का अहसास हो गया था.
जिंदगी में मुझे पहली बार चाची के साथ ऐसा अहसास हुआ था.
मुझे लगा कि यार अब तक मैंने चाची के साथ कितना गन्दा सुलूक किया और मैंने चाची के साथ कितनी बेरहमी वाली चुदाई की.
मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था.
मैंने सोचा कि यह बात चाची को बता देनी चाहिए.
कुछ देर बाद हम दोनों घूम कर वापस होटल जाने से पहले एक गुमटी पर चाय पीने रुक गए.
वहां चाय पीते पीते मैंने चाची से अपने प्यार का इजहार कर दिया.
चाची मुस्कुराने लगीं और बोलीं- तुम्हें पता भी है कि तुम क्या बोल रहे हो. मेरी उम्र और तुम्हारी उम्र में फ़र्क तो देखो. हम दोनों के बीच यह सब रिश्ते हैं. वह हमारे तन और मन की संतुष्टि के लिए कर रहे हैं. तुम्हें भी इसकी जरूरत है और मुझे भी … और तुम इसे प्यार समझ बैठे. यह चुदाई आदि सब हम एंजॉय के लिए कर रहे हैं. इसमें मुझे तुम्हारे साथ तुम्हारे चाचा से भी ज्यादा मजा आता है. और तुम भी क्या कह रहे हो यार … तुम्हें मेरे से भी ज्यादा प्यार करने वाली पत्नी मिलेगी. हम दोनों के बीच में रिश्ता पक्के बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड की तरह है. तुम अभी से ये प्यार मोहब्बत के चक्कर में ना पड़ो. हां तुम्हारी पत्नी आने तक मुझे ही अपनी पत्नी समझ कर तुम मेरे साथ जो चाहे वह कर सकते हो. तुम्हें कभी भी किसी भी चीज की जरूरत हो, तो मुझे बोल देना, वह मैं तुम्हारे लिए हाजिर कर दूंगी.
मैंने अपना मुँह लटका कर कहा- ठीक है चाची जी.
वह बोलीं- लो, तुम तो मुझसे नाराज हो गए. मेरी जान अब चलो मैं तुम्हें होटल में ले जाकर जन्नत की सैर करवाती हूं.
मैंने भी मुस्कुरा कर हां में हां मिला दी और कहा कि जैसी आपकी मर्जी हो, वैसा कर लेना. बस मेरी शादी तक ये चुदाई रुकनी नहीं चाहिए.
चाची मेरी बात सुनकर मुस्कुराने लगीं.
अब मेरी चाची लव स्टोरी के अगले भाग में मैं आपको चाची के साथ हुई चुदाई का आगे का किस्सा लिखूँगा. आप मुझे मेल कर सकते हैं.
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मेरी चाची लव स्टोरी का अगला भाग: चुदासी चाची के साथ मस्ती से भरी रंगरेलियां- 5