हॉट वाइफ हार्ड सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी बीवी मेरी मौजूदगी में मेरे चार दोस्तों से चुद गयी. चारों ने मेरी बीवी की चूत गांड मुंह सब जगह लंड घुसा कर मजा लिया.
फ्रेंड्स, आप सभी का मेरी चुदाई कहानी में स्वागत है.
कहानी के पहले भाग
मेरी कमसिन बीवी को मेरे दोस्तों ने चोदा
में आपने अब तक पढ़ा था कि उम्र में मुझसे कई साल छोटी मेरी बीवी एक निम्फो हो गई थी.
उसकी चुदाई की भूख इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि मैं अकेला उसे ठंडी कर पाने में असमर्थ था. फिर हालात ऐसे बन गए कि मेरी बीवी को अपनी प्यास बुझाने के लिए मर्द मिल गए और मुझे जिल्लत के साथ ही सही … मगर काम मिलने लगा.
अभी तक आपने पढ़ा था कि एक दिन मेरे घर में एक नेता जी और तीन अधिकारी जी मेरी बीवी को चोद रहे थे.
मैं नेता जी को अपनी बीवी की गांड मारने की तैयारी करते देख रहा था.
अब आगे हॉट वाइफ हार्ड सेक्स कहानी:
नेता जी मुझसे बोले- स्वप्निल, जाकर क्रीम या तेल ले आ.
मैं बेडरूम में गया और क्रीम लेकर आया.
जब मैं पहुंचा तो अरुणिमा हंस कर बोल रही थी- उनका तो घुस नहीं पाता आपका कैसे जाएगा?
शमशुद्दीन जी नेता जी से बोल रहे थे- आप इसकी गांड मारेंगे, तब तक हम सब क्या करेंगे?
इस पर विश्वेश्वर जी बोले कि तब तक तुम सब इस रांड से अपना लंड चुसवा सकते हो.
मैं कमरे में घुसा तो विश्वेश्वर जी बोले- आ गया स्वप्निल, चल पहले मेरे लंड पर थोड़ी क्रीम लगा दे.
मैंने अपने हाथ में क्रीम लेकर उनके आठ इंच के लंड पर मल दी.
उसके बाद उन्होंने अरुणिमा को टेबल पर पेट के बल लिटाया और उसी समय शमशुद्दीन जी ने अपना लंड अरुणिमा के मुँह में डाल दिया.
विश्वेश्वर जी ने मेरी बीवी के चूतड़ों को अलग अलग किया और उसकी गांड के छेद पर अपना लंड टिका दिया.
फिर धीरे धीरे उन्होंने अपना लंड अन्दर डालना चालू किया.
अरुणिमा का छटपटाना शुरू हुआ और वो अपने हाथ से उनकी तोंद को धकेलने लगी.
उसके मुँह से आवाज निकली कि आप मेरी गांड क्या मारोगे, आपकी तोंद तो स्पीडब्रेकर बन रही है.
अरुणिमा की इस बात से विश्वेश्वर जी थोड़ा चिढ़ गए और बोले- साली रंडी! क्यों मज़ा ख़राब कर रही है कुतिया … गांड खोल और लंड अन्दर ले.
ये कह कर उन्होंने एक जोर का तमाचा उसके एक चूतड़ पर मार दिया.
फिर उन्होंने उसके दोनों हाथों को पकड़ा और मुझसे बोले- स्वप्निल! इस रंडी के दोनों हाथ तो पकड़ ज़रा.
मैंने आगे बढ़ कर अपनी बीवी की दोनों कलाइयों को जकड़ लिया और विश्वेश्वर जी ने उसकी कमर को कसके पकड़ लिया.
विश्वेश्वर जी ने शमशुद्दीन जी से कहा- चेहरा पकड़ इसका … और लंड मुँह में अन्दर तक ठेल दे, मुझे दिक्कत नहीं होना चाहिए.
शमशुद्दीन जी ने अरुणिमा का चेहरा पकड़ कर उसका मुँह अपने लंड से चोदना चालू कर दिया.
इसी बीच विश्वेश्वर जी अरुणिमा की कमर को पकड़ कर धीरे धीरे अपना लंड उसकी गांड में घुसाना चालू कर दिया.
धीरे धीरे लंड अन्दर समाने लगा और अरुणिमा छटपटाने लगी.
वो मुझे आस भरी नज़रों से देखने लगी कि मैं उसकी गांड फटने से उसे बचा लूं लेकिन मैं तो खुद बुरी परिस्थिति में फंसा हुआ था.
लगभग दस मिनट की जोर आजमाइश के बाद आखिरकार विश्वेश्वर जी का पूरा लंड अन्दर घुस गया.
ये विश्वेश्वर जी ने खुद बताया क्यूंकि मैं तो अरुणिमा के सामने की तरफ खड़ा था.
विश्वेश्वर जी बोले- साली रंडी ने पूरा लंड ले ही लिया, मज़ा आ गया. इस वेश्या की गांड बहुत टाइट है.
उसके बाद उन्होंने मेरी बीवी की कमर पकड़ कर उसकी गांड मारना चालू कर दी.
धीरे धीरे गांड में लंड चलता रहा.
पूरे टाइम अरुणिमा छटपटाती ही रही थी.
लगभग दस मिनट के बाद अरुणिमा का छटपटाना कम हो गया और वो आंखें बंद करके अपनी गांड चुदाई का मजा लेने लगी.
उसने अपने मुँह से लंड निकाल कर कहा- जान कलाई छोड़ो ना!
मैंने कलाई छोड़ दी और वो शमशुद्दीन जी की कमर पकड़ कर अच्छे से उनका लंड चूसने लगी.
शमशुद्दीन जी ने अपनी आंखें बंद कर लीं और बोले- अब ये रंडी फॉर्म में आई है, साली लंड तो ऐसा मस्त चूस रही है, जैसे सालों से कोठे पर बैठी हो.
अरुणिमा ये सुनकर हंस दी.
अब वो दोनों कमर हिला हिला कर अरुणिमा को दोनों तरफ से चोदने लगे और बीच बीच में थोड़ा रुक कर उसके संतरे बराबर मम्मों को मसल देते थे.
दोनों जी भर कर अरुणिमा को गालियां भी दे रहे थे.
मुझे याद आ रहा था कि किस प्रकार आते समय सब उसे अपनी बेटी और बहन बता रहे थे और अभी कैसे वो सब उसी बेटी और बहन को चोद रहे थे.
कुछ उम्र का तकाजा और कुछ अरुणिमा का टैलेंट और कुछ उसकी पहली बार चुदने वाली गांड का टाइट होने के कारण विश्वेश्वर जी और शमशुद्दीन जी अगले पांच मिनट में उसकी गांड और मुँह में झड़ गए.
अरुणिमा शमशुद्दीन जी का पूरा माल पी गई.
ये देख कर शमशुद्दीन जी चौंक कर बोले- साले स्वप्निल, तूने अपनी वाइफ को अच्छी ट्रेनिंग दी हुई है. लगता है फ्यूचर में और लोगों से भी इसे चुदवाएगा.
मैं कुछ नहीं बोला.
विश्वेश्वर जी बोले- पूरी रंडियों वाली प्रकृति है इस अरुणिमा की … लेकिन ताज़ा बदन है … तो चोदने में मज़ा बहुत आया.
विश्वेश्वर जी अरुणिमा की गांड थपथपा कर बोले- जा, जाकर नहा ले और फ्रेश हो कर नंगी ड्राइंग रूम में आ जा.
दोनों ने अपना अपना लंड बाहर निकाला और अरुणिमा गांड मटकाती हुई बाथरूम में घुस गई.
सबके सब ड्राइंग रूम में बैठ गए और शराब का दौर फिर से चालू हो गया.
दस मिनट बाद अरुणिमा ड्राइंग रूम में आई तो विश्वेश्वर जी उससे बोले- आ जा, मेरी गोद में आकर बैठ जा.
अरुणिमा चुपचाप उनकी गोद में बैठ गई और विश्वेश्वर जी उसके मम्मों को मसलने लगे.
बीच बीच में उसकी जांघों को सहला देते और चूत में उंगली कर देते थे.
थोड़ी देर बाद गुरबचन जी ने उसे अपनी गोद में खींच लिया और अब वो उसके बदन से खेलने लगे.
हर दो तीन मिनट बाद राजशेखर जी, शमशुद्दीन जी, गुरबचन जी और विश्वेश्वर जी उसको अपने गोद में खींच लेते और उसके बदन से जी भर कर खेलते.
अरुणिमा को भी इस सबमें मजा रहा था. वो हंस हंस सबको अपने दूध चुसा थी और चूत में उंगली करवा रही थी.
लगभग तीस मिनट के इस समय में उन सबने मसल मसल कर अरुणिमा की जांघों और मम्मों को लाल कर दिया था.
उसके बाद विश्वेश्वर जी बोले- अरुणिमा रंडी! एक काम कर, घुटनों पर बैठ और हम सब का लंड बारी बारी से चूस. मूड बन जाएगा, तो एक बार फिर तुझे चोदेंगे. फिर हम सबको आराम भी करना है.
अरुणिमा एक प्रोफेशनल रंडी और उनकी आज्ञाकारी रखैल की तरह तुरंत विश्वेश्वर जी के टांगों के बीच आ गई और उनके सोये हुए लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.
थोड़ी देर वो एक का लंड चूसती, फिर दूसरे के पैरों के बीच बैठ जाती और उसका लंड चूसने लगती.
चारों बीच बीच में उसके मम्मों को मसल दे रहे थे.
लगभग चालीस मिनट के बाद सबका लंड तन गया था और चोदने के दूसरे राउंड का प्रोग्राम बन गया.
गुरबचन जी बोले- अब जब विश्वेश्वर जी ने इसकी गांड मार ही ली है, तो मैं सोच रहा था कि मैं भी पहले इसकी गांड ही मार लेता.
अरुणिमा तुरंत उनका लंड मुँह से निकाल कर बोली- विश्वेश्वर जी, का बहुत मुश्किल से अन्दर गया था. आपका तो और मोटा तगड़ा है, नहीं जाएगा.
गुरबचन जी बोले- विश्वेश्वर जी का भी नहीं जाने वाला था, गया ना … मेरा भी चला जाएगा. अब चल बेडरूम में कार्यक्रम चालू करते हैं.
अरुणिमा चुपचाप उठी और गुरबचन जी उसकी कमर पर हाथ रख कर चल दिए.
मैं भी उठा तो गुरबचन जी बोले- तुझे भी चोदना है क्या?
मैंने ना में सर हिलाया तो वो बोले- तो यहीं बैठ ना …. पीछे पीछे क्यों आ रहा.
मैं अनमने ढंग से वापस बैठ गया.
थोड़े देर बाद बेडरूम से आवाज आने लगी- ठीक से क्रीम लगा, हां चूतड़ फैला कर रख, हां हां जा रहा अन्दर, थोड़ा धैर्य रख … घुस जाएगा.
साथ में बीच बीच में अरुणिमा के कराहने की मादक आवाजें भी आ रही थीं.
थोड़ी देर बाद फिर से आवाज आई- देख घुस गया ना पूरा!
इस पर अरुणिमा की खिलखिलाने की आवाज आई.
उसी टाइम विश्वेश्वर जी उठे और बेडरूम में जाने लगे.
वो बेडरूम का गेट खोल कर अन्दर घुस गए और मैं भी पीछे पीछे अन्दर आ गया.
बेड के पास अरुणिमा झुक कर खड़ी थी और गुरबचन जी का लंड उसकी गांड में पूरा अन्दर समाया हुआ था.
विश्वेश्वर जी बोले- थोड़ा इस रंडी को सीधा कर, ऐसे में ही मैं भी इसकी चूत मार लेता हूँ.
अरुणिमा बोली- दोनों एक साथ?
विश्वेश्वर जी- हां अब तू सैंडविच चुदाई का मजा भी ले ले.
गुरबचन जी ने अरुणिमा के बाल पकड़ कर पीछे खींचे और विश्वेश्वर जी उसके सामने खड़े होकर, उसकी जांघों को फैला कर आ गए. वो खुद झुक कर, उसकी चूत में अपना लंड घुसाने लगे.
थोड़ी कोशिश करने के बाद लंड अन्दर घुस गया और दोनों आगे पीछे से एक साथ उसको चोदने लगे.
विश्वेश्वर जी बोले- मजा आ रहा है ना रांड?
अरुणिमा कुछ नहीं बोली.
उसके चेहरे पर दोनों लंड का एक साथ चूत गांड में होने की असहजता झलक रही थी.
विश्वेश्वर जी ने उसके गुलाबी होंठों को अपने मोटे मोटे होंठों से जीभर कर चूमा, चूसा और धीरे धीरे साथ में उसकी चूत मारते रहे.
गुरबचन जी इस टाइम रुक कर अरुणिमा के मम्मों को जोर जोर से मसल रहे थे और उसके निप्पलों को उमेठे दे रहे थे.
फिर विश्वेश्वर जी चोदना रोक कर अरुणिमा के मम्मों को और निप्पलों को चूसने लगे.
उस टाइम गुरबचन जी उसकी गांड को तेजी से मारने लगे.
अब ये दूसरा राउंड था तो स्वाभिक तौर पर झड़ने में टाइम तो लगना ही था और ये दोनों रुक रुक कर अरुणिमा को चोद रहे थे तो और ज्यादा समय लगने की उम्मीद थी.
लगभग तीस मिनट से ज्यादा ही लगा होगा, जब दोनों एक साथ उसकी चूत गांड तेजी से चोदने लगे.
अरुणिमा को दोनों के प्रहार झेलने के लिए थोड़ा उचकना पड़ रहा था.
आखिरकार दोनों एक साथ उसकी चूत और गांड में झड़ गए.
दोनों ने अपना अपना लंड बाहर निकाल लिया.
अरुणिमा थक कर धाम से बिस्तर पर लोट गई.
ये दोनों बेडरूम के बाहर चले गए.
अभी दो मिनट भी नहीं हुए थे कि शमशुद्दीन जी और राजशेखर जी अन्दर आ गए.
शमशुद्दीन जी ने अरुणिमा को बांह से पकड़ कर उठाया और खड़ा कर दिया.
जैसे तैसे अरुणिमा उठी और जैसे ही झुकने लगी तो थोड़ा लड़खड़ा गई.
वो मेमने जैसी मिमियाई- शमशुद्दीन जी प्लीज और गांड मत मारिये, पहले ही बहुत दुःख रहा है.
शमशुद्दीन जी बोले- गांड मार भी नहीं रहा तेरी रंडी, कुतिया है तू, तो तुझे कुतिया टाइप ही चोदने वाला हूँ. चूत में लंड डाल रहा हूँ लेकिन पीछे से चोदूंगा.
बिना बहस किए अरुणिमा झुक गई और शमशुद्दीन जी ने उसकी चूत में अपना लंड घुसेड़ दिया.
राजशेखर जी ने पूछा- अब मैं क्या चोदूँ? या तेरे खत्म होने तक रुकूँ?
शमशुद्दीन जी बोले- राजशेखर! लंड चुसवा इस वेश्या से, साली रंडी प्रोफेशनल वेश्याओं को भी फेल कर रही है.
राजशेखर जी अरुणिमा के मुँह के पास आ गए और बोले- चल रंडी अपना टैलेंट दिखा और चूस मेरा लंड.
अरुणिमा ने बिना बहस किए उनकी कमर पकड़ कर उनका लंड अपने मुँह में ले लिया.
शमशुद्दीन जी उसकी कमर को पकड़ कर ताबड़तोड़ उसके चूत का भुर्ता बना रहे थे और अरुणिमा पूरा ध्यान राजशेखर के लंड पर केंद्रित करके चूस रही थी.
थोड़ी देर में राजशेखर जी को अहसास हुआ कि सच में अरुणिमा बहुत अच्छे से लंड चूस रही थी.
राजशेखर जी बोले- स्वप्निल! कोठे पर बिठा दे इसको, बहुत कमाई होने लगेगी तेरी, इसके टैलेंट के सामने तो सच की रंडियां फेल हैं. वैसे चार लोगों से दो राउंड में चुद गई, ये साली भी कम बड़ी रंडी नहीं है.
अरुणिमा सहित सब हंसने लगे, बस मैं ही अपनी वाइफ हार्ड सेक्स देखते हुए गांडुओं सा चुप खड़ा था.
दोनों लोग दोनों तरफ से अरुणिमा को तीस मिनट तक चोदते रहे और फिर लगभग एक साथ उसके मुँह और चूत में झड़ गए.
रूम से निकलने से पहले राजशेखर जी अरुणिमा से बोले- फ्रेश होकर रूम में आ जा.
अरुणिमा फिर बाथरूम में घुस गई.
लगभग दस मिनट तक अरुणिमा बाथरूम में रही.
तब तक चारों ने एक एक पैग मार लिया.
उसके बाद चारों बेडरूम में घुस गए.
मैं भी घुस गया, तो देखा कि अरुणिमा नंगी बेड पर लेटी हुई है.
विश्वेश्वर जी ने उसे पेट के बल पलटा और उसके चूतड़ों को चूमने लगे.
वो पहले चूतड़ों से बोले- मज़ा आ गया.
वो विश्वेश्वर जी के लंड को सहलाने लगी.
फिर विश्वेश्वर जी अरुणिमा से बोले- बिल्कुल स्कूल की छोरियों के जैसे चूतड़ हैं तेरे, जी कर रहा है चूमता रहूं बस.
ये बोल कर विश्वेश्वर जी अरुणिमा के चूतड़ों पर सर रख कर लेट गए.
बाकी लोग भी इधर उधर बेड पर लेट गए.
तभी गुरबचन जी मुझे देख कर बोले- अबे अरुणिमा के दल्ले, यहां कहां घुस रहा? बाहर जाकर सोफे पर सो जा भोसड़ी के.
मैं कुछ बोलने को हुआ तो विश्वेश्वर जी बोले- भड़वे! उठा कर नहीं ले जा रहे इस वेश्या को, बाहर जाकर पसर जा मादरचोद … बहरा हो गया है क्या?
बिना कुछ बोले मैं बाहर आकर सोफे पर लेट गया.
रात में चार पांच बार मेरी नींद अरुणिमा की मादक आवाजों से टूटी और बेडरूम में झांक कर देखा तो पाया कि कोई न कोई उसे चोद ही रहा था.
गनीमत थी कि सब चूत ही मार रहे थे, किसी ने दोबारा उसकी गांड नहीं मारी.
सुबह उठते उठते देरी हो गई.
घड़ी देखी तो दस बज रहे थे.
जैसे तैसे उठ कर डाइनिंग रूम में गया तो देखा कि सब बैठ कर नाश्ता कर रहे हैं.
पर अरुणिमा नहीं दिख रही थी.
मैंने इधर उधर देखा तो गुरबचन जी मुस्कुरा कर आंख के इशारे से नीचे दिखाने लगे.
मैंने झुक कर देखा तो पता चला कि चारों कमर के नीचे नंगे होकर बैठे थे और अरुणिमा पूरी नंगी डाइनिंग टेबल के नीचे थी. वो बारी बारी से सबका लंड चूस रही थी.
राजशेखर जी ने कहा- तुम तो घोड़े बेच कर सो रहे थे. कमाल की बात है, जब तुझे पता था कि तेरी वाइफ नंगी चार लोगों के बीच पड़ी है, तो तुझको इतनी चैन की नींद कैसे आ गई थी?
गुरबचन जी बोले- अरे तो इसमें कौन सी बड़ी बात है, स्वप्निल अपनी वाइफ को अपनी मर्जी से हमसे चुदवा रहा था और उसे हम पर भरोसा है, तभी तो उसने अपनी फ्रेश वाइफ को हमारे हवाले किया था.
शमशुद्दीन जी बोले- वो तो स्वप्निल का हमारे प्रति प्रेम है, लेकिन तुम सब कम हरामी नहीं हो. एक तो इस रंडी को कल दो दो बार चोद ही चुके थे और रात में फिर एक एक बार चोद चुके हो. ऊपर से साथ नहाने के बहाने बाथरूम में भी एक एक बार चोद लिए हो. साली वेश्या की चूत और गांड का भुर्ता बना दिया है.
विश्वेश्वर जी बोले- एक बार और चोदने का मन था लेकिन हम समझते हैं कि ये बहुत ज्यादा चुद चुकी है, इसलिए तो आखिरी बार लंड चुसवा कर काम चला रहे हैं.
फिर वो लोग मुझे भी बैठ कर नाश्ता करने को बोलने लगे.
जब तक नाश्ता चल रहा था, एक एक करके लोग बता रहे थे कि वह अरुणिमा रंडी के मुँह में झड़ गए हैं.
जो झड़ जाता था, वो हट कर अपने कपड़े पहनने लगता था और ड्राइंग रूम में बाकी का इंतज़ार करने लगता था.
जब चारों का रस निकल गया और चारों उठ गए तो मुझे अरुणिमा की उंगलियां मेरे पैंट पर महसूस हुईं.
वो मेरा लंड निकाल कर चूसने लगी.
गुरबचन जी जाते जाते बोल गए कि तेरा काम हो जाएगा, जो हम सबने तुझसे वादा किया है.
अरुणिमा पूरी तन्मयता से मेरा लंड चूसती रही और लगभग बीस मिनट में मैं उसके मुँह में झड़ गया.
मेरा माल पीने और मेरा लंड चाट कर साफ़ करने के बाद वो टेबल से बाहर निकली.
वाइफ हार्ड सेक्स से उसके पूरे बदन पर खरोंचें दिख रही थीं और चूत पूरी लाल हो गई थी. गांड भी फूली फूली दिख रही थी, जिससे पता चल रहा था कि चूत सूज गई है.
अरुणिमा ने तुनक कर कहा- अब दो चार दिन मुझे मत चोदना, तो भी मैं कुछ नहीं कहूँगी.
मैंने सर हिला दिया तो उसने कहा- आप भी कमाल करते हैं, मुझे उन सबसे चुदवाना था, ये मुझे पहले ही बता देते. मुझे समझने समझाने में टाइम लग गया था.
अब मैं उसे क्या बताता कि उन लोगों ने अपना दोगलापन दिखा कर उसको चोदा है और इसमें मेरी मर्जी शामिल नहीं थी.
अरुणिमा सोने चली गई और मैं अपने ऑफिस निकल गया.
मुझे लगा था कि यदि अब उसे बता दिया, तो पता नहीं उस पर क्या बीतेगी.
इसलिए मुझे अरुणिमा को सच्चाई ना बताना ही सही लगा.
मगर मुझे ये कहां मालूम था कि मेरी कमसिन बीवी को इस चुदाई में न केवल मजा आया था बल्कि वो इस तरह की चुदाई की आदी बनती जा रही थी.
उस घटना के चार दिन तक मैंने अरुणिमा को बिल्कुल भी नहीं चोदा और आराम करने दिया.
निम्फ़ो बीवी की सेक्स की बातें में मैं आपको उसकी आगे की चुदाई कहानी सुनाऊंगा.
आप मेरे साथ बने रहिए और इस हॉट वाइफ हार्ड सेक्स कहानी पर किसी भी प्रकार की राय देने के लिए आप मेल पर मुझसे संपर्क कर सकते हैं.