देसी पंजाबी आंटी सेक्स का मजा मेरे पड़ोस में मोटे चूचे और मोटी गांड वाली आंटी ने दिया. मैं उनके घर जाता रहता था. एक बार उन्होंने मुझे काम से बुलाया तो …
सफेद, काली और गुलाबी चूत को मेरा नमस्कार.
मेरा नाम अमन है. मैं एक जाट हूं और हरियाणा के हिसार शहर में रहता हूं.
मेरी हाइट 5 फुट 8 इंच है. रंग सफेद है. मेरी उम्र 22 साल है. शरीर से भी मैं अच्छा हूं और दिखने में भी मैं सुंदर हूं.
मैं बहुत जल्दी लड़की या भाभी को अपनी बातों में और अपने चेहरे के भाव से उनका आकर्षण अपनी ओर कर लेता हूं.
अभी तक मैंने चार लड़कियों और दो भाभियों के साथ ताबड़तोड़ पलंग तोड़ सेक्स किया है.
मैं अंतर्वासना पर कहानियां तीन-चार सालों से पढ़ता आ रहा हूं.
यह मेरी पहली सेक्स कहानी है. इसमें मैंने देसी पंजाबी आंटी सेक्स का मजा लिया.
कुछ गलती हो जाए, तो माफ कर देना.
मेरे पड़ोस में मोटे चूचे और मोटी गांड वाली पंजाबन सेक्सी आंटी रहती थीं. मैं रोज कोई ना कोई बहाने से उनके घर जाता था. मुझे क्या पता था कि उस दिन मैं पूरी दुनिया की सैर कर लूंगा.
आगे बढ़ने से पहले मैं आपको उन पंजाबन आंटी के बारे में बता देता हूँ.
उनका फिगर 36-30-40 का था. उनका रंग दूध जैसा सफेद और टमाटर जैसा लाल था. उनके पीछे मोटे मोटे चूतड़ मस्त थिरकते थे. मम्मे ऐसे जैसे सफेद सेब पर काले अंगूर चिपके हों.
उनकी चूत मानो गुलाब की पंखुड़ी जैसी थी. चारों तरफ गुलाबी और सफेद कचौड़ी बीच में तितली जैसी काली पंखुड़ी.
आंटी मेरे साथ हंसी मजाक तथा छेड़खानी भी करती रहती थीं.
मुझे भी बहुत अच्छा लगता था, मैं भी उनके साथ छेड़खानी करता रहता था.
वो मेरी बात का कभी बुरा भी नहीं मानती थीं.
यह बात कुछ महीने पुरानी है. जब 2020 में लॉकडाउन लगा था.
एक दिन शाम को आंटी ने मुझे अपने घर बुलाया. गेहूं की टंकी को साइड में करवाने के लिए उन्हें मेरी जरूरत थी.
तब आंटी के घर पर वो खुद और उनके ससुर थे.
मैं सीधा सबसे ऊपर वाले कमरे में जोकि तीसरी मंजिल पर था, वहां चला गया.
उधर पर आंटी साफ सफाई कर रही थीं.
आंटी ने काले कलर की टी-शर्ट और लोवर पहन रखा था.
उन्होंने मुझे अन्दर रूम में एक दो काम बताए.
मैं उनके साथ काम करता रहा.
उस वक्त मैंने देखा कि वह जब भी कुछ सामान उठाने के लिए नीचे झुकती थीं तो मुझे उनके बड़े-बड़े चुचों का काला अंगूर दिख जाता था.
जिसे देख कर मैं पागल हो रहा था और ये सब देख कर मेरा सोता हुआ शेर दहाड़ मारने लगा था.
आंटी ने भी इधर-उधर ध्यान करते हुए यह देख लिया था.
यह बात उनको भी समझ आ गई थी.
वे मुझे छेड़ने लगीं कभी कुछ कह कर, कभी कुछ करके.
थोड़ी देर बाद आंटी बोलीं- तू एक काम कर, यह कुर्सी और मेज को उठा कर बाहर रख दे. मैं 5 मिनट में आती हूं.
मैंने हामी भर दी.
जब आंटी 5 मिनट बाद बाहर आईं तो मैं उनको देखता ही रह गया.
उन्होंने ढीला सा कुर्ता पहन लिया था, जिसमें से उनकी मोटी मोटी चूचियां साफ दिख रही थीं.
वो बिना ब्रा के कुरता पहन कर आई थीं और नीचे बहुत ही टाइट कैपरी कम शॉर्ट पहन कर आई थीं.
उनके कुर्ते में से उनके मोटे मोटे चूचे साफ दिखाई दे रहे थे.
मैं उनके स्तनों को देखता रहा और उन्होंने यह भी नोटिस कर लिया था.
वे अपने काम में लगी रहीं और बार-बार वो मुझे जानबूझकर अपने स्तन दिखा रही थीं.
कुछ देर तक मैं आंटी के पास ही खड़ा रहा.
फिर मैं जैसे ही कुछ सामान उठाने के लिए नीचे झुकने लगा, मेरा मुँह आंटी के बड़े-बड़े चूचों पर जाकर लगा.
आंटी ने आउच कहा.
मैंने कहा- आंटी गलती से लग गया.
आंटी मुस्कुरा कर बोलीं- मुझे सब पता है अनजाने में लगा है या जाने में!
मैं नीचे मुँह करके खड़ा था.
आंटी मेरे बहुत पास आ गईं और बोलीं- तुम मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो, शर्म नहीं आती तुझे कि मैं तेरे से कितनी बड़ी हूं?
उनकी बात से मैं बहुत डर गया था.
मैं बिना कुछ कहे जाने लगा.
तो आंटी ने मुझसे कहा- रुक जा, वरना तेरी मम्मी को सब बता दूंगी.
मैंने आंटी से कहा- आंटी, आगे से ऐसी गलती नहीं होगी.
आंटी मेरे पास आईं और बोलीं- तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है जो तू ऐसी हरकत करता है?
मैंने कहा- है आंटी, पर वह कुछ करने ही नहीं देती है.
आंटी बोलीं- क्या करना है तुझे?
मैंने कहा- आंटी मैं आपको बहुत पसंद करता हूं. मुझे गलत मत समझना, आई लाइक यू.
तो आंटी बोलीं- अच्छा मुझमें ऐसा क्या देख लिया तूने?
मैं बोला- आंटी, आप में ना देखने वाला कुछ है ही नहीं, सब कुछ छूने और चूसने लायक है.
तो वो फिर से बोलीं- अभी इन कामों के लिए तेरी उम्र बहुत छोटी है.
मैंने कहा- नहीं आंटी, उम्र छोटी बड़ी से फर्क नहीं पड़ता, चीज बड़ी होनी चाहिए.
आंटी हंस कर बोलीं- चल आज तेरी ही चीज देखती हूं मैं … क्या है ऐसा. तेरे अंकल की चीज को देखते हुए 17 साल हो गए, आज तेरी ही देख लेती हूं.
मैंने आंटी पर झपट्टा मारा और दीवार के साथ लगा कर बुरी तरह से उनको किस करने लगा.
उनके और मेरे होंठ ऐसे एक दूसरे के होठों से चिपके हुए थे जैसे फेविकोल लगा रखा है.
वह भी मेरे होंठों को बार-बार कुत्ते की तरह नौच सी रही थीं.
कुछ देर उनके होंठों को चूमने के बाद उनकी गर्दन से नीचे होते हुए मोटे मोटे आमों की तरफ बढ़ा.
मैंने उनका शर्ट एक ही झटके में आगे से फाड़ दिया.
आंटी बोलीं- पागल हो गया है क्या तू … यह क्या किया तूने?
मैंने कहा- डार्लिंग अब चुप, तीन-चार सालों की आग है, बीच में मत बोलो, वरना सब कुछ फाड़ दूंगा … बाद में मत कहना कि यह क्या किया.
तो आंटी हंसकर मुझे देखने लगीं और बोलीं- कर ले राजा अपने मन की, जो करना है तुझे. मैं नहीं रोक रही, बस थोड़ा आराम से कर.
मैं उनके दूध और लाल टमाटर जैसे आमों पर टूट पड़ा.
मैं जोर-जोर से उनको चूसे जा रहा था, जिससे आंटी को थोड़ा दर्द होने लगा.
आंटी बोलीं- अब तो बस कर.
उनकी बड़ी-बड़ी चूचियों को जब मैं आम की तरह चूस रहा था, तो वो कामुक आवाजें निकाल रही थीं ‘आआ आ आह हहह ऊहह आआईई आराम से बाबा आराम से करो ऊऊहह …’
जोर जोर से चूसते चूसते उनकी एक चूची से खून भी आने लगा था.
मैं फिर भी उनको कुत्ते की तरह नौच रहा था.
उनको भी बहुत मजा आ रहा था.
मैं नीचे पेट की तरफ बढ़ा और अपनी जीभ से नाभि से खेलने लगा.
वह अपने आपे से बाहर हो रही थीं.
मैंने उनका पजामा उतार दिया और उन्हें नंगी करने लगा.
आंटी ने कहा- पहले दरवाजा बंद कर आ!
मैंने भागकर दरवाजा बंद किया और उनको चारपाई पर लिटा दिया.
उनकी गुलाब की पंखुड़ियों जैसी चूत को देखने लगा और चूत को जोर जोर से चाटने लगा, अपनी जीभ को चूत में अन्दर-बाहर करने लगा.
बीच-बीच में मैं चूत पर बाइट भी कर रहा था, जिससे वह अपने आपे से बाहर हो रही थीं.
देसी पंजाबी आंटी सेक्स के जोश में जोर-जोर से बड़बड़ाई जा रही थीं- आआह आह आईई … और जोर से मेरे राजा … आहह ऊहह!
मुझे बहुत मजा आ रहा था, साथ में डर भी था कि कहीं कोई ऊपर ना आ जाए.
फिर मैं यूं ही आंटी की चूत को बहुत देर तक चाटता रहा.
आंटी ने मुझे जोर से टांगों के बीच में जकड़ लिया था. उनका पानी आने ही वाला था.
कुछ ही सेकंड बाद उन्होंने मेरे मुँह पर सारा पानी छोड़ दिया. वह मेरी तरफ देखने लगीं और उठकर मुझे किस करने लगीं.
मेरे मुँह पर कुछ बूंदें लगी हुई थीं, वो उन्हें चाटने लगीं.
अब आंटी ने मुझे खड़ा किया और बोलीं- अब मेरी बारी!
आंटी ने मेरी पैंट उतारी और मेरे शेर को एक झटके में गले तक ले गईं, जंगली कुत्ते की तरह लंड चूसने लगीं.
पांच मिनट बाद मेरा भी निकलने वाला था. मुझे लंड बाहर निकालने का मौका ही नहीं मिला.
आंटी ने मेरा सारा माल अपने गले में खींचा और पेट में ले गईं.
आंटी ने अब मेरी शर्ट और बनियान उतारी और अपने पास लिटा लिया.
यूं ही हम कुछ देर एक दूसरे को चाटते रहे.
कुछ मिनट बाद मेरा शेर दोबारा से खड़ा हो गया था.
मैं आंटी को दोबारा से चाटने लगा.
उसी अवस्था में किस करते हुए आंटी के दोनों बड़े बड़े मम्मों को जोर जोर से दबाने और चूसने लगा.
आंटी के एक आम से दोबारा से खून आने लगा, इस बार भी आंटी ने मुझे कुछ नहीं कहा.
मैं उनके मम्मों को जोर जोर से दबा कर चूसने लगा. फिर मैं धीरे-धीरे पेट से होते हुए चूत तक पहुंचा और दुबारा से चाटना शुरू कर दिया.
देसी पंजाबी आंटी ने मुझे रोका और कहा- अब नहीं रुका जाता, मेरी आग की भट्टी में अपने पानी के पाइप को डालकर मेरी आग को बुझा दे.
मैंने आंटी की टांगों को थोड़ा सा चौड़ा किया और उनकी चूत के मुँह पर अपना लंड रख कर एक ही धक्के में पूरा का पूरा लंड अन्दर उतार दिया.
आंटी थोड़ी से छटपटाईं.
इतने में ही मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और जोर-जोर से किस करने लगा.
साथ ही उनके स्तनों को भी दबा रहा था.
वे बहुत ही गर्म हो गई थीं और मैं भी उनके साथ बहुत ही गर्मी महसूस कर रहा था.
हम दोनों पसीने से भर गए थे.
दो-चार मिनट बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और जोर-जोर से आगे पीछे होने लगा.
मैंने दस मिनट तक चुदाई चालू रखी और उसके बाद मैंने उनको दीवार के सहारे खड़ा कर दिया.
मैं उनको पीछे से चाटने लगा.
धीरे-धीरे मैं उनके नीचे पहुंचा और सूंघने लगा.
उनकी चूत में और उनकी गांड में ऐसी खुशबू आ रही थी कि आज तक मैंने ना तो किसी लड़की में ऐसी खुशबू सूँघी थी और ना ही किसी भाभी में.
आंटी की वह खुशबू मुझे बहुत ही ज्यादा आकर्षित कर रही थी.
मैं उनकी गांड को भी किस करने लगा जिससे वह बहुत ज्यादा पागल हो गई थीं.
कुछ देर तक मैं यूं ही उनकी टांगों को और उनकी गांड पर किस करता रहा.
फिर मैंने खड़े होकर उनकी गांड में अपना लंड डाल दिया और जोर-जोर से धक्के लगाने लगा.
पूरे कमरे में पच पच की जोरों से आवाज आ रही थी. मैं यूं ही उनको चोद रहा था.
इसी बीच आंटी दो बार झड़ चुकी थीं.
अब मेरी बारी थी.
मैंने आंटी से कहा- आंटी, मेरा होने वाला है.
आंटी ने मेरा लंड निकाल कर अपनी चूत में डलवाया और जोर जोर से धक्के लगवाने लगीं.
कुछ ही दिनों के बाद मेरा सारा पानी उनकी चूत में निकल गया और हम दोनों में ही खाट पर सो गए.
काफी देर बाद उनके ससुर आए और आवाज देकर पूछने लगे- बेटा क्या अभी तक काम नहीं हुआ?
वह बोलीं- हो गया बाऊ जी, मैं बस अभी आती हूं.
हम दोनों ने उठकर एक दूसरे को किस करना और चाटना दोबारा से चालू कर दिया.
बाऊजी की बात को कहते हुए आंटी बोलीं- वो ऊपर नहीं आएंगे.
मैंने आंटी के साथ एक बार और जल्दी वाला सेक्स किया.
मैं शाम 5:00 बजे उनके घर आया था और 9:00 बजे अपने घर गया.
यह देसी पंजाबी आंटी सेक्स का सिलसिला 4 महीने तक चलता रहा. फिर वह लोग यहां से कहीं और दूसरी सिटी में चले गए हैं.
तो अब मेरी उनसे बात भी नहीं होती है.
वह शायद मुझसे किसी वजह से नाराज हो गई थीं.
आपको मेरी देसी पंजाबी आंटी सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज़ कमेंट्स करें.
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